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धीरे धीरे उतर क्षितिज से -महादेवी वर्मा - सप्रसंग व्याख्या ( Hindi class 9- Summary and short question's answer )

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  धीरे धीरे उतर क्षितिज से -महादेवी वर्मा   सप्रसंग व्याख्या    ( Hindi class 9- Summary and short question's answer ) धीरे धीरे उतर क्षितिज से आ वसन्त-रजनी! तारकमय नव वेणीबन्धन शीश-फूल कर शशि का नूतन, रश्मि-वलय सित घन-अवगुण्ठन, मुक्ताहल अभिराम बिछा दे चितवन से अपनी! पुलकती आ वसन्त-रजनी! मर्मर की सुमधुर नूपुर-ध्वनि, अलि-गुंजित पद्मों की किंकिणि, भर पद-गति में अलस तरंगिणि, तरल रजत की धार बहा दे मृदु स्मित से सजनी! विहँसती आ वसन्त-रजनी! पुलकित स्वप्नों की रोमावलि, कर में ही स्मृतियों की अंजलि, मलयानिल का चल दुकूल अलि! चिर छाया-सी श्याम, विश्व को आ अभिसार बनी! सकुचती आ वसन्त-रजनी! सिहर सिहर उठता सरिता-उर, खुल खुल पड़ते सुमन सुधा-भर, मचल मचल आते पल फिर फिर, सुन प्रिय की पद-चाप हो गयी पुलकित यह अवनी! सिहरती आ वसन्त-रजनी!  धीरे धीरे उतर क्षितिज से -महादेवी वर्मा - सप्रसंग व्याख्या  ( Hindi class 9- Summary and short question's answer ) पेड़ के दर्द नामक कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखो​ विनय के पद - व्याख्या

विनय के पद - व्याख्या ( class 9 question answer Summary of Vinay ke pad by Tulsidas )

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विनय के पद(Vinay Ke Pad) हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल में गोस्वामी तुलसीदास का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है। तुलसीदास के जन्म और मृत्यु के विषय में विद्‌वानों में मतभेद है। अधिकांश विद्‌वानों का मानना है कि इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बाँदा ज़िले के राजापुर नामक गाँव में सन्‌ 1532 में हुआ था।गुरु नरहरिदास इनके गुरु थे। तुलसीदास ने भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रतिष्ठित किया। उन्होंने राम कथा पर आधारित विश्व-प्रसिद्‌ध महाकाव्य ” रामचरितमानस” की रचना की। तुलसीदास राम के अनन्य भक्त थे।तुलसीदास ने ब्रज और अवधि दोनों भाषा में समान रूप से लिखा। तुलसीदास ने अपनी रचनाओं के द्‌वारा आदर्श समाज की स्थापना पर जोर दिया जिसमें न्याय, धर्म, सहानुभूति, प्रेम और दया जैसे मानवीय गुणों पर विशेष ध्यान दिया है। प्रमुख रचनाएँ – गीतावली, कवितावली, दोहावली, पार्वती मंगल, हनुमान बाहुक आदि। तुलसीदास राम के अनन्य भक्त थे। उन्होंने विष्णु के अवतार भगवान राम की दास्य-भक्ति की। उन्होंने अपनी प्रसिद्‌ध ग्रन्थ ‘रामचरितमानस’ में विस्तार से राम की महिमा का गुणगान किया है। तुलसीदास ने भगवान राम को  मर्...