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नीड़ का निर्माण फिर-फिर ~ कविवर हरीवंश राय बच्चन ~ सारांश (व्याख्या ) और संदेश (Ch.6 ~ WBBSE Madhyamik Questions and Answers ) Nid ka Nirman Fir Fir

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नीड़ का निर्माण फिर-फिर कविता का सारांश (व्याख्या ) और संदेश  (  Nid ka Nirman Fir Fir   ) ( Chapter 6 ~ WBBSE Madhyamik Questions and Answers ) कविवर हरीवंश राय बच्चन का जीवन परिचय देते हुए उनकी काव्य कृतियों पर प्रकाश डालिए उत्तर: हरिवंश राय बच्चन उत्तर छायावादी युग के एक ऐसे कवि हैं जिनकी मधुशाला के मधु ने युवा वर्ग को मदोन्मत कर दिया था । आप आशावादी कवि हैं । आपकी कविताओं में मानवीय भावनाओं की मनोवैज्ञानिक अभिव्यक्ति आपको कुशल कवि बनाती है। आप काव्य की संगीतात्मकता, सरलता एवं मार्मिकता के कवि के रूप में सदैव याद किए जाएंगे। जीवन परिचय: श्री हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 ई० में प्रतापगढ़ के एक कायस्थ परिवार में हुआ था । आपके पिता का नाम "श्री प्रतापनारायण" था । आपने काशी और इलाहाबाद में शिक्षा प्राप्त कर कैंब्रिज विश्वविद्यालय में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की । आप कई वर्षों तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रधान अध्यापक रहे। 1955 ई० में आप हिंदी विशेषज्ञ होकर विदेश मंत्रालय में चले गए । 1966 ई० में आपको राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया।

रामदास कविता (रघुवीर सहाय) की सप्रसंग व्याख्या (WBBSE Madhyamik Questions and Answers)

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रामदास कविता (रघुवीर सहाय) की सप्रसंग व्याख्या    ( Class10 Hindi Summary and Question Answer रामदास शीर्षक कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर: नई कविता के दौर के कवि रघुवीर सहाय ने रामदास शीर्षक कविता में स्वातंत्र्योत्तर भारत की राजनीतिक विद्रूपताओं पर करारा व्यंग किया है। कवि ने रामदास के माध्यम से आम आदमी के दर्द और केंचुआ बनते जा रहे मध्यम वर्ग की दशा को दर्शाया है। कवि ने स्पष्ट रूप से संकेत किया है कि लोकतंत्र का मुखौटा पहने हुए हमारे देश की पूंजीवादी व्यवस्था में आसामाजिक तत्व स्वच्छंद और स्वैराचारी हो गए हैं। कविता में रामदास के वध स्थल का विवरण है। कवि ने कहा है कि शहर की चौड़ी सड़क से जुड़ी एक पतली गली थी। दिन का समय था। आकाश में बदली छाई हुई थी। आकाश में छाई बदली देश में व्याप्त आतंक की छाया का प्रतीक है। रामदास का मन उदास था। उसे उसकी मौत का समय और स्थान बता दिया गया था। कुछ ही क्षणों के उपरांत उसकी जीवन लीला समाप्त होने वाली थी। रामदास धीरे-धीरे अपने वध-स्थल की ओर बढ़ता है। पहले उसने अपने साथ किसी को साथ लेने की बात सोची थी। लेकिन कुछ सोच