रामदास कविता (रघुवीर सहाय) की सप्रसंग व्याख्या (WBBSE Madhyamik Questions and Answers)
रामदास कविता (रघुवीर सहाय) की सप्रसंग व्याख्या ( Class10 Hindi Summary and Question Answer
रामदास शीर्षक कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: नई कविता के दौर के कवि रघुवीर सहाय ने रामदास शीर्षक कविता में स्वातंत्र्योत्तर भारत की राजनीतिक विद्रूपताओं पर करारा व्यंग किया है। कवि ने रामदास के माध्यम से आम आदमी के दर्द और केंचुआ बनते जा रहे मध्यम वर्ग की दशा को दर्शाया है। कवि ने स्पष्ट रूप से संकेत किया है कि लोकतंत्र का मुखौटा पहने हुए हमारे देश की पूंजीवादी व्यवस्था में आसामाजिक तत्व स्वच्छंद और स्वैराचारी हो गए हैं।
कविता में रामदास के वध स्थल का विवरण है। कवि ने कहा है कि शहर की चौड़ी सड़क से जुड़ी एक पतली गली थी। दिन का समय था। आकाश में बदली छाई हुई थी। आकाश में छाई बदली देश में व्याप्त आतंक की छाया का प्रतीक है। रामदास का मन उदास था। उसे उसकी मौत का समय और स्थान बता दिया गया था। कुछ ही क्षणों के उपरांत उसकी जीवन लीला समाप्त होने वाली थी। रामदास धीरे-धीरे अपने वध-स्थल की ओर बढ़ता है। पहले उसने अपने साथ किसी को साथ लेने की बात सोची थी। लेकिन कुछ सोचकर उसने अपने विचार बदल दिए शायद वह जानता था कि किसी के साथ होने से उसकी परिणिति में परिवर्तन नहीं होना है दरअसल सड़क पर वह अकेला तो था नहीं। वहां अनेक लोग मौजूद थे। वे सभी मौन थे। समस्त दर्शक निहत्थे थे। उन तमाम लोगों को रामदास की हत्या की सूचना थी।
रामदास सड़क के बीचो बीच खड़ा था। उसके पास अपने बचाव का कोई मार्ग नहीं बचा था। अपने बचाव में उसने अपनी दोनों हथेलियां से अपने पेट को ढक रखा था। वह सधे हुए कदमों से चलकर आगे आया, वहां खड़े लोग स्वयं डर से सहम गए। तमासबीन बने लोग अपनी आंखें गड़ाए रामदास की परिणीति को देख रहे थे। यह अत्यंत दर्दनाक और दहशत पैदा करने वाला दृश्य थे। तमाम लोगों की मौजूदगी में रामदास का सधे कदमों से आगे बढ़ाना हमारे देश की व्यवस्था और देशवासियों की असहयाता का परिचायक है।
गली से बाहर निकल कर हत्यारे ने रामदास का नाम पुकारा। उसने हाथ तौल कर चाकू से रामदास के ऊपर वार किया। उसकी देह से खून का फव्वारा फूट पड़ा। तमासबीन लोग उसकी हत्या के उपरांत आपस में चर्चा करते हैं कि उसने अपनी हत्या की सच्ची खबर सुनाई थी। कविता का व्यंग इस बात में निहित है कि अपने अनिष्ट की आशंका मात्र से लोगों के रूह कांप उठती हैं। लेकिन रामदास कितना मजबूर है कि वह हत्यारे के आह्वान पर भीड़ से निकलकर सामने आ जाता है। वह अपने बचाव में कुछ भी नहीं कर पता है। तमासबीन बने लोग एक दूसरे को बुलाकर इस वारदात की सूचना दे रहे हैं। यह कैसा समय है? यह शासन-व्यवस्था भी कितनी लाचार है।
कवि ने दर्शाया है कि इस व्यवस्था में हत्यारे कितने बेखौफ और निर्मम हो गए हैं। रामदास की हत्या को अंजाम देकर हत्यारा भीड़ को चीरते हुए चला गया। मुख्य मार्ग के बीचो-बीच रामदास की लाश पड़ी थी। भीड़ में खड़े लोग उन्हें बुलाकर यकीन दिला रहे थे जिन्हें उसकी मौत की सूचना पर संशय था। मुख्य मार्ग पर पड़ी रामदास की लाश लोकतंत्र की लाश का और भीड़ को चीरते हुए हत्यारे का चला जाना प्रतिरोध विहीन समाज का प्रतीक है। यह कविता बुनानट के स्तर पर जितनी सपाट हैं। प्रभाव की दृष्टि से उतनी ही मारक और मार्मिक है। कविता के हर पंक्ति देश की बद्तर होती जा रही दशा का बयां करती है।
रामदास कविता के मूल संदेश को लिखिए?
उत्तर: रामदास के माध्यम से कवि रघुवीर सहाय ने आज की व्यवस्था पर युवा पीढ़ी की हताशा, निराशा एवं कुंठा को प्रदर्शित किया है। सरकारी उपेक्षा, द्रोपदी की चीर की तरह बढ़ती समस्याओं के मकड़जाल में फंसा आज का युवा घोर हताशा एवं शोषण की चक्की में पीस रहा है। उसके सामने निराशा का अंधकर छाया हुआ है। इससे मुक्ति के लिए दूर-दूर तक कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। इसके निराकरण की दिशा में ठोस कार्य करने के लिए करने की जरूरत पर बल दिया गया है। अन्यथा रामदास की भीड़ को रोक नहीं जा सकता।
रामदास कविता का उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए?
उत्तर: वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में प्रशासन एवं व्यवस्था की पोल खोलना 'रामदास' कविता का मुख्य उद्देश्य है।
हमारे देश में पूंजीवादी व्यवस्थाओं में आसामाजिक तत्व बेहद बेखौफ हो जाते हैं। कवि ने सरकार की आंखों में उंगली घुसेडकर रुग्ण होती जारी व्यवस्था को सुधारने का संदेश दिया है। कवि ने केंचुआ बनते जा रहे मध्यम वर्ग की मन:स्थिति पर भी करारा व्यंग्य किया है। हत्या को अंजाम दिए जाने पर तमाशबीन बने लोगों को वारदात पर विश्वास होता है। प्रतिरोध विहीन समाज इतना निरीह बन जाता है कि कोई हत्यारा हत्या का समय और स्थान की घोषणा करके सार्वजनिक स्थल पर रामदास जैसे आम आदमी की हत्या कर बेखौफ चला जाता है। कवि ने दर्शाया है कि रामदास की स्थिति स्वतंत्र भारत की नियति बन गई है।
रामदास कविता में कवि ने हताश, निराश एवं भय से आक्रांत एक साधारण जन की पीड़ा को व्यक्त किया है स्पष्ट कीजिए?
उत्तर: कविता में रामदास के वध स्थल का विवरण है। कवि ने कहा है कि शहर की चौड़ी सड़क से जुड़ी एक पतली गली थी। दिन का समय था। आकाश में बदली छाई हुई थी। आकाश में छाई बदली देश में व्याप्त आतंक की छाया का प्रतीक है। रामदास का मन उदास था। उसे उसकी मौत का समय और स्थान बता दिया गया था। कुछ ही क्षणों के उपरांत उसकी जीवन लीला समाप्त होने वाली थी। रामदास धीरे-धीरे अपने वध-स्थल की ओर बढ़ता है। पहले उसने अपने साथ किसी को साथ लेने की बात सोची थी। लेकिन कुछ सोचकर उसने अपने विचार बदल दिए शायद वह जानता था कि किसी के साथ होने से उसकी परिणिति में परिवर्तन नहीं होना है दरअसल सड़क पर वह अकेला तो था नहीं। वहां अनेक लोग मौजूद थे। वे सभी मौन थे। समस्त दर्शक निहत्थे थे। उन तमाम लोगों को रामदास की हत्या की सूचना थी।
रामदास सड़क के बीचो बीच खड़ा था। उसके पास अपने बचाव का कोई मार्ग नहीं बचा था। अपने बचाव में उसने अपनी दोनों हथेलियां से अपने पेट को ढक रखा था। वह सधे हुए कदमों से चलकर आगे आया, वहां खड़े लोग स्वयं डर से सहम गए। तमासबीन बने लोग अपनी आंखें गड़ाए रामदास की परिणीति को देख रहे थे। यह अत्यंत दर्दनाक और दहशत पैदा करने वाला दृश्य थे। तमाम लोगों की मौजूदगी में रामदास का सधे कदमों से आगे बढ़ाना हमारे देश की व्यवस्था और देशवासियों की असहयाता का परिचायक है।
गली से बाहर निकल कर हत्यारे ने रामदास का नाम पुकारा। उसने हाथ तौल कर चाकू से रामदास के ऊपर वार किया। उसकी देह से खून का फव्वारा फूट पड़ा। तमासबीन लोग उसकी हत्या के उपरांत आपस में चर्चा करते हैं कि उसने अपनी हत्या की सच्ची खबर सुनाई थी। कविता का व्यंग इस बात में निहित है कि अपने अनिष्ट की आशंका मात्र से लोगों के रूह कांप उठती हैं। लेकिन रामदास कितना मजबूर है कि वह हत्यारे के आह्वान पर भीड़ से निकलकर सामने आ जाता है। वह अपने बचाव में कुछ भी नहीं कर पता है। तमासबीन बने लोग एक दूसरे को बुलाकर इस वारदात की सूचना दे रहे हैं। यह कैसा समय है? यह शासन-व्यवस्था भी कितनी लाचार है।
कवि ने दर्शाया है कि इस व्यवस्था में हत्यारे कितने बेखौफ और निर्मम हो गए हैं। रामदास की हत्या को अंजाम देकर हत्यारा भीड़ को चीरते हुए चला गया। मुख्य मार्ग के बीचो-बीच रामदास की लाश पड़ी थी। भीड़ में खड़े लोग उन्हें बुलाकर यकीन दिला रहे थे जिन्हें उसकी मौत की सूचना पर संशय था। मुख्य मार्ग पर पड़ी रामदास की लाश लोकतंत्र की लाश का और भीड़ को चीरते हुए हत्यारे का चला जाना प्रतिरोध विहीन समाज का प्रतीक है।
इस प्रकार रामदास कविता में कवि ने हताश, निराश एवं भय से आक्रांत एक साधारण जान की पीड़ा को व्यक्त किया है।
चौड़ी सड़क गली पतली थी
दिन का समय घनी बदली थी
रामदास उस दिन उदास था
अंत समय आ गया पास था
उसे बता यह दिया गया था उसकी हत्या होगी //
प्रस्तुत पंक्तियों में एक विवश, लाचार, हताश व्यक्ति रामदास की असमर्थता की चर्चा की गई है। एक ऐसा व्यक्ति जिसे अपनी मृत्यु की पूर्व सूचना प्राप्त है।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति में रामदास के वध स्थल का विवरण है। कवि ने कहा है कि शहर की चौड़ी सड़क से जुड़ी एक पतली गली थी। दिन का समय था। आकाश में बदली छाई थी। रामदास का मन उदास था। उसे उसकी मौत का समय और स्थान बता दिया गया था। कुछ ही क्षणों के उपरांत उसकी जीवन लीला समाप्त होने वाली थी।
धीरे-धीरे चला अकेले
सोचा साथ किसी को ले ले
फिर रह गया, सड़क पर सब थे
सभी मौन थे सभी निहत्थे
सभी जानते थे यह उस दिन उसकी हत्या होगी //
प्रसंग
प्रस्तुत अंश में एक शोषित पीड़ित असहाय व्यक्ति रामदास की व्यवस्था एवं दीनता का चित्रण हुआ है।
जो परिस्थितियों का मारा हुआ है वह व्यवस्था की हृदयहीनता एवं उदासीनता का प्रतीक है।
व्याख्या
प्रस्तुत अंश में कवि ने रामदास की दयनीय दशा को दर्शाया है। रामदास धीरे-धीरे अपने वध स्थल की ओर बढ़ता है पहले उसने अपने साथ किसी को साथ लेने की बात सोची थी। लेकिन कुछ सोचकर उसने अपने विचार बदल दिए। शायद वह जानता था कि किसी के साथ होने से उसकी परिणिति में परिवर्तन नहीं होना है। दरअसल सड़क पर वह अकेला तो था नहीं वहां अनेक लोग मौजूद थे। वह सभी मौन थे। समस्त दर्शक निहत्थे थे। उन तमाम लोगों को रामदास की हत्या की सूचना थी।
खड़ा हुआ वह बीच सड़क पर
दोनों हाथ पेट पर रख कर
सधे क़दम रख करके आए
लोग सिमट कर आँख गड़ाए
लगे देखने उसको जिसकी तय था हत्या होगी //
प्रसंग
प्रस्तुत अंश में कवि ने रामदास के अभावग्रस्तता, शोषण के पीड़ा का यथार्थ चित्रण किया है।
रामदास आज की व्यवस्था, सरकारी उपेक्षा का एक जीता जागता प्रतीक है।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने रामदास की करूण दशा को दर्शाया है। रामदास सड़क के बीचो-बीच खड़ा था। उसके पास अपने बचाव का कोई मार्ग नहीं बचा था। अपने बचाव में उसने अपनी दोनों हथेलियां से अपने पेट को ढक रखा था। वह सधे हुए कदमों से चलकर आगे आया, वहां खड़े लोग डर से सहम गए। तमाशबीन बने लोग अपनी आंखें गड़ाए रामदास की परिणीति को देख रहे थे।
निकल गली से तब हत्यारा आया उसने नाम पुकारा हाथ तौलकर चाक़ू मारा छूटा लोहू का फ़व्वारा कहा नहीं था उसने आख़िर उसकी हत्या होगी //प्रसंग
प्रस्तुत पंक्तियों में रामदास की विवशता एवं उसके कातरता का बड़ा ही मार्मिक चित्रण हुआ है। रामदास आज के हताश, निराश, शोषण एवं पीड़ित व्यक्ति का प्रतीक है। जो व्यवस्था और लाचारी का पर्याय बना हुआ है।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने रामदास के हत्या का मार्मिक वर्णन किया है गली से बाहर निकलकर हत्यारे ने रामदास का नाम पुकारा उसने हाथ तौल कर चाकू से रामदास के ऊपर वार किया उसकी देह से खून का फव्वारा फूट पड़ा। तमाशबीन लोग उसकी हत्या के उपरांत आपस में चर्चा करते हैं कि उसने अपनी हत्या की सच्ची खबर सुनाई थी।
प्रसंग
प्रस्तुत पंक्तियों में रामदास की विवशता एवं उसके कातरता का बड़ा ही मार्मिक चित्रण हुआ है। रामदास आज के हताश, निराश, शोषण एवं पीड़ित व्यक्ति का प्रतीक है। जो व्यवस्था और लाचारी का पर्याय बना हुआ है।
व्याख्या
प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने रामदास के हत्या का मार्मिक वर्णन किया है गली से बाहर निकलकर हत्यारे ने रामदास का नाम पुकारा उसने हाथ तौल कर चाकू से रामदास के ऊपर वार किया उसकी देह से खून का फव्वारा फूट पड़ा। तमाशबीन लोग उसकी हत्या के उपरांत आपस में चर्चा करते हैं कि उसने अपनी हत्या की सच्ची खबर सुनाई थी।
भीड़ ठेल कर लौट गया वह मरा पड़ा है रामदास यह 'देखो-देखो' बार बार कह लोग निडर उस जगह खड़े रह लगे बुलाने उन्हें, जिन्हें संशय था हत्या होगी //
प्रसंग
आलोच्य कविता का केंद्रीय पात्र रामदास एवं उसकी हत्या से जनित परिस्थितियों का बड़ा ही मर्मस्पर्शी चित्रण इस अंश में हुआ है। रामदास एक अकेला पात्र नहीं है जिसकी अवहेलना, जिसका शोषण, जिसकी भावना एवं आकांक्षाओं का कत्ल नहीं होता बल्कि उस जैसे अनेक पात्र कतार में खड़े हैं।
व्याख्या
प्रस्तुत अंश में कवि ने दर्शाया है कि इस व्यवस्था में हत्यारे कितने बेखौफ और निर्मम हो गए हैं। रामदास की हत्या को अंजाम देकर हत्यारा भीड़ को चीरते हुए चला गया। मुख्य मार्ग के बीचो-बीच रामदास की लाश पड़ी थी। भीड़ में खड़े लोग उन्हें बुलाकर यकीन दिला रहे थे जिन्हें उसकी मौत की सूचना पर संशय था।
प्रसंग
आलोच्य कविता का केंद्रीय पात्र रामदास एवं उसकी हत्या से जनित परिस्थितियों का बड़ा ही मर्मस्पर्शी चित्रण इस अंश में हुआ है। रामदास एक अकेला पात्र नहीं है जिसकी अवहेलना, जिसका शोषण, जिसकी भावना एवं आकांक्षाओं का कत्ल नहीं होता बल्कि उस जैसे अनेक पात्र कतार में खड़े हैं।
व्याख्या
प्रस्तुत अंश में कवि ने दर्शाया है कि इस व्यवस्था में हत्यारे कितने बेखौफ और निर्मम हो गए हैं। रामदास की हत्या को अंजाम देकर हत्यारा भीड़ को चीरते हुए चला गया। मुख्य मार्ग के बीचो-बीच रामदास की लाश पड़ी थी। भीड़ में खड़े लोग उन्हें बुलाकर यकीन दिला रहे थे जिन्हें उसकी मौत की सूचना पर संशय था।
रामदास शीर्षक कविता का सारांश :
Short Questions Answer:
Very Short Type Questions
1.रामदास कविता के कवि किस काव्यधारा के कवि हैं? उत्तर: रामदास कविता के कवि आधुनिक काल के प्रयोगवाद काव्यधारा की एक प्रमुख कवि हैं।
2.हिंदी साहित्य में प्रयोगवादी काव्य धारा का प्रवर्तक किसे कहा जाता है?
उत्तर: हिंदी साहित्य के इतिहास में प्रयोगवादी काव्यधारा के प्रवर्तक अज्ञेय जी को कहा जाता है।
इन्होंने कविता को एक नई दिशा दी है।
3.रघुवीर सहाय का जन्म कब और कहां हुआ था?
उत्तर: रघुवीर सहाय का जन्म 9 दिसंबर 1929 ई को लखनऊ में हुआ था।
3.रघुवीर सहाय ने किन विधाओं में रचना की है?
उत्तर: रघुवीर सहाय का साहित्य संसार बड़ा ही विस्तृत है। उन्होंने साहित्य के विभिन्न विधाओं में रचना की है। जिसमें कविता, कहानी एवं निबंध मुख्य हैं।
4.रघुवीर सहाय की प्रमुख काव्य कृतियों के नाम लिखिए। उत्तर: रघुवीर सहाय की प्रमुख काव्य कृतियों में सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हंसो हंसो जल्दी हंसो आदि है।
5.रघुवीर सहाय की कहानी संग्रह के नाम लिखिए।
उत्तर: रघुवीर सहाय के प्रमुख कहानी संग्रह 'रास्ता इधर से है', 'जो आदमी हम बना रहे हैं' आदि।
5.रघुवीर सहाय के प्रमुख निबंध संग्रह के नाम लिखिए।
उत्तर: रघुवीर सहाय के प्रमुख निबंध संग्रह है 'दिल्ली मेरा प्रदेश', 'लिखने का कारण', 'उबे हुए सूखी', 'वे और नहीं होंगे', 'जो मारे जाएंगे', 'भंवर', 'लहरें और तरंग' आदि हैं।
6.रघुवीर सहाय की प्रमुख अनूदित कृतियों के नाम लिखिए।
उत्तर: रघुवीर सहाय के प्रमुख अनूदित कृतियां हैं 'वरन भवन', 'शेक्सपियर के नाटक', 'मैकबेथ का अनुवाद'' और 'तीन हंगरी' नाटक हैं।
7.रामदास क्यों उदास था?
उत्तर: रामदास की आज हत्या होने वाली थी इसलिए वह उदास था।
8.रामदास को क्या बात बता दिया गया था?
उत्तर: रामदास को बता दिया गया था कि उसका अंत समय आ गया है और उसकी हत्या आज ही होगी।
9.आपके विचार में से रामदास का हत्यारा कौन था?
उत्तर: मेरे विचार से रामदास का हत्यारा यह व्यवस्था थी। जिसमें व्यक्ति के जीने के अधिकार पर चंद लोगों का अधिकार है।
10.मृत्यु पथ पर चलते हुए रामदास ने क्या सोचा था?
उत्तर: मृत्यु पथ पर चलते हुए रामदास ने सोचा था कि वह अपने साथ किसी को ले ले पर उसके साथ जाने के लिए कोई तैयार नहीं था।
11.सड़क पर खड़े लोग कैसे थे?
उत्तर: सड़क पर खड़े लोग मौन थे, वह निहत्थे थे, उनके मुठियां भी नहीं भरी हुई थी।
12.सड़क पर खड़े लोगों को क्या जानकारी थी?
उत्तर: रामदास की मृत्यु का आंखों देखा हाल जानने वालों को यह बात बता दिया गया था कि आज उसकी हत्या होगी।
13.रामदास किस मुद्रा में और कहां खड़ा था?
उत्तर: रामदास अकेले ही सड़क पर दोनों हाथ पेट पर रखकर मृत्यु की प्रतीक्षा में खड़ा था।
14.रामदास की मृत्यु का जश्न देखने के लिए लोग कहां और कैसे खड़े थे?
उत्तर: रामदास की मृत्यु का जश्न देखने के लिए लोग बीच सड़क पर आए थे और वे टक-टकी लगाकर खड़े थे।
15.रामदास की हत्या किस प्रकार की गई?
उत्तर: रामदास की हत्या बीच सड़क पर लोगों के सामने ही चाकू मार कर की गई।
16.रामदास का हत्यारा कहां से आया और उसने क्या किया?
उत्तर: हत्यारा गली से निकलकर मुख्य सड़क पर आया और उसने रामदास के नाम की आवाज दी कि रामदास हाजिर हो।
17.हत्यारे के हाथ में क्या था?
उत्तर: हत्यारे के हाथ में चाकू था।
18.आपके विचार में रामदास का वास्तविक हत्यारा कौन था।
उत्तर: मेरे विचार में रामदास का वास्तविक हत्यारा कोई व्यक्ति विशेष ना होकर या व्यवस्था थी जिसने जीने के संपूर्ण संसाधनों पर अधिकार कर लिया है।
19.हत्यारा रामदास की हत्या कर कैसे चला गया?
उत्तर: हत्यारा रामदास की हत्या कर भीड़ को ठेल कर भावशून्य मुद्रा में हत्या स्थल से निकलकर निकल पड़ा। भीड़ मौन दर्शक बनकर उसे देखती रही।
20.रामदास किसका प्रतीक है?
उत्तर: रामदास एक विवस, लाचार, हताश व्यक्ति का प्रतीक है। जो शोषण, उत्पीड़न एवं राजकीय अपेक्षा का शिकार है।
21.रामदास की हत्या किस व्यवस्था की ओर इंगित करती है?
उत्तर: रामदास की हत्या एक हताश एवं नपुंसक व्यवस्था की ओर इंगित करती है।
22.रामदास के माध्यम से कवि ने क्या संदेश दिया है?
उत्तर: रामदास के माध्यम से कवि ने अपने देश की युवा पीढ़ी की विवशता, लाचारी एवं राजकीय व्यवस्था की अपेक्षा की ओर संकेत किया है।
23.रामदास की हत्या के बाद लोग निडर होकर किसे बुलाने लगे?
उत्तर: रामदास की हत्या के बाद लोग निडर होकर उसे बुलाने लगे जिसे रामदास की हत्या होगी के बारे में संशय था।
24.किसको बता दिया गया था कि उसकी हत्या होगी?
उत्तर: रामदास को।
25.रघुवीर सहाय को उनकी किस कृति पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था?
उत्तर: रघुवीर सहाय को उनकी प्रसिद्ध साहित्यिक कृति 'लोग भूल गए हैं' पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।
26.रघुवीर सहाय ने किस प्रमुख पत्रिका के संपादन का भार उठाया था?
उत्तर: रघुवीर सहाय 'दिनमान' के संपादक थे। वे 1969 से 1982 तक "दिनमान" पत्रिका के संपादक थे।
27.रघुवीर सहाय के प्रमुख लघु रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर: रघुवीर सहाय के प्रमुख लघु रचनाएं हैं "अगर कहीं मैं तोता होता", "चांद की आदतें", "पानी के संस्मरण" आदि।
28.रामदास कविता का संदेश क्या है?
उत्तर: कवि ने इस कविता के माध्यम से यह संदेश दिया है कि अगर व्यवस्था का प्रतिरोध नहीं होगा तो वह समाज में भाड़ में पड़े चने की तरह एक-एक कर फूटता रहेगा। भाड़ का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। भाड़ की चिंदी-चिंदी उड़ाने के लिए सभी चनो को एक साथ विरोध कर भाड़ के अस्तित्व को नष्ट करना पड़ेगा।
29.रामदास घने बादल वाले दिन क्यों उदास था?
उत्तर: रामदास जानता था कि आज उसकी हत्या होगी इसलिए वह उदास था।
30.रामदास ने अपनी सहायता के लिए किसी को अपने साथ क्यों नहीं लिया?
उत्तर: रामदास जानता था कि उसे मारने वाल व्यक्ति अपराधी प्रवृत्ति का है उसके भय एवं आतंक से कोई उसकी सहायता नहीं करेगा यदि कोई उसकी सहायता के लिए आएगा तो अपराधी उसे भी मार डालेगा। इसलिए रामदास ने अपनी सहायता के लिए किसी को अपने साथ नहीं लिया।
31.रामदास की हत्या के बाद लोगों ने क्या किया?
उत्तर: रामदास की हत्या के बाद लोग एक दूसरे को बुलाकर इस वारदात की सूचना दे रहे थे।
32.रामदास की हत्या होगी जानकर भी लोग निहत्थे क्यों खड़े थे?
उत्तर: हत्यारे से सभी भयभीत थे लोगों में हत्यारे का विरोध करने का साहस नहीं था।
33.रामदास की मृत्यु का जश्न देखने के लिए लोग कहां और कैसे खड़े थे?
उत्तर: रामदास की मृत्यु का जश्न देखने के लिए लोग सड़क पर मौन, निहत्थे खड़े थे।
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