यमराज की दिशा - चंद्रकांत देवताले -( पाठ सार और व्याख्या) ( Hindi class 9- Summary and short question's answer )

यमराज की दिशा -चंद्रकांत देवताले

( पाठ सार और व्याख्या) 

माँ की ईश्वर से मुलाक़ात हुई या नहीं
कहना मुश्किल है
पर वह जताती थी जैसे
ईश्वर से उसकी बातचीत होती रहती है
और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार
ज़िंदगी जीने और दुख बर्दाश्त करने के
रास्ते ख़ोज लेती है

माँ ने एक बार मुझसे कहा था
दक्षिम की तरफ़ पैर करके मत सोना
वह मृत्यु की दिशा है
और यमराज को क्रुद्ध करना
बुद्धिमानी की बात नहीं
तब मैं छोटा था
और मैंने यमराज के घर का पता पूछा था
उसने बताया था
तुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दूर दक्षिण में

माँ की समझाइश के बाद
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नहीं सोया
और इससे इतना फ़ायदा ज़रूर हुआ
दक्षिण दिशा पहचानने में
मुझे कभी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा

मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया
और मुझे हमेशा माँ याद आई
दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था
होता छोर तक पहुँच पाना
तो यमराज का घर देख लेता

पर आज जिधर भी पैर करके सोओ
वहीं दक्षिण दिशा हो जाती है
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं

माँ अब नहीं है
और यमराज की दिशा भी वह नहीं रही

जो माँ जानती थी।

Comments

Popular posts from this blog

2nd Part Of 20th Century: Post-Colonial India (1947-64) (History _Chapter 8 ~ WBBSE Madhyamik Questions and Answers )

Chapter 4 ~ Waste Management ( Madhayamik Important Questions and Answers)

Movements Organized By Women, Students, And Marginal People In 20th Century India: Characteristics And Analyses (History _Chapter 7~ WBBSE Questions and Answers ) Madhyamik