शरत् सुन्दरी' ~ सुमित्रानंदन पंत, Summary, Explanation, Word meanings, MCQs, Class 12 Semester 3
'शरत् सुन्दरी' ~ सुमित्रानंदन पंत
Summary, Explanation, Word meanings, MCQs, Class 12 Semester 3
'शरत् सुन्दरी' ~ सुमित्रानंदन पंत
गुच्छ कांस का किया विनिर्मित
शेफाली का हार बनाया
नए धान की मंजरियों से
है पूजा का थाल सजाया
शरत् सुंदरी। तेरे स्वागत
के मिस की मैं ने तैयारी
रथ पर बैठ शुभ्र, मेघों के
तू आ, मैं तुझ पर बलिहारी
शिशिर ओस से भींग गए जो
उन कमलों का मुकुट पहन कर
निर्मल नीलपंथ से आ तू
वन प्रांतर में नव यौवन भर
मालति के फूलों का आसन
सघन कुंज बिच गया बिछाया
उफनाती गंगा के तट पर
तब तुझ को जा रहा बुलाया
राजहंस पथ निरख रहे हैं
पथ पर अपने पंख बिछाए
पता नहीं किस ने निज वीणा
पर स्वर मादकमधुर बजाए
निज अलकों की कृपाकोर से
मेरे मन को पारस कर दे
मेरे तिमिराच्छन्न हृदय में
तू नव ज्योति, ऊष्मा भर दे
शरद ऋतु (Autumn) की सुंदरता का मानवीकरण करते हुए, कवि ने उसे एक दिव्य सुंदरी के रूप में चित्रित किया है और उसके आगमन पर प्रकृति में होने वाले परिवर्तनों का मनोरम वर्णन किया है। कवि शरत सुंदरी का स्वागत करते हुए उनसे प्रार्थना भी करते हैं कि वह उनके मन के अंधकार को दूर करके उसे नवीन ज्योति से भर दें।
विस्तृत सारांश (Detailed Summary)
कविता “शरत सुंदरी” में कवि शरद ऋतु का सुंदर और भावनात्मक स्वागत करते हैं। वह बताते हैं कि किस प्रकार प्रकृति ने स्वयं शरद ऋतु के आगमन की तैयारी की है—कांस के फूलों की गुच्छियाँ, शेफाली (पारिजात) का हार, और नये धान की मंज़रियों से पूजा का थाल सजाया गया है।
कवि शरद ऋतु को रथ पर बैठकर शुभ मेघों के साथ आने का निमंत्रण देते हैं। वे कहते हैं कि जो कमल शिशिर की ओस से भीग चुके हैं, वे अब मुकुट बनकर शरद का स्वागत करने को तत्पर हैं। शरद की निर्मलता और सौंदर्य पूरे वन-प्रांत में नया यौवन भर देते हैं।
मालती के फूलों से आसन बना है, स्वप्न-कुंज बिछ गया है, और उफनती गंगा के तट पर भी शरद का स्वागत हो रहा है। राजहंस तक अपने पंख फैलाकर मार्ग देख रहे हैं, मानो ऋतु का आगमन हो रहा हो। कहीं किसी की वीणा पर मधुर सुर बज रहे हैं, जो वातावरण को और अधिक मनोहारी बना देते हैं।
अंत में कवि प्रार्थना करते है कि शरद ऋतु अपनी कृपा से उनके मन को पवित्र और श्रेष्ठ बना दे। उनके अंधकारमय हृदय में नई ज्योति, नई ऊर्जा और नई उष्मा का संचार करे।
पदवार सारांश (Stanza-wise Summary)
पद 1
गुच्छ कांस का किया विनिर्मित
शेफाली का हार बनाया
नए धान की मंजरियों से
है पूजा का थाल सजाया
सारांश: शरद सुंदरी के आगमन के लिए प्रकृति ने तैयारी की है। काँस के फूलों का गुच्छा बनाया गया है और शेफाली (हरसिंगार) के फूलों की माला गूँथी गई है। नए धान (चावल) की बालियों से भारत माता का शाल (दुप्पटा/अंगवस्त्र) सजाया गया है, अर्थात चारों ओर नए धान की हरियाली छाई है।
पद 2
शरत् सुंदरी। तेरे स्वागत
के मिस की मैं ने तैयारी
रथ पर बैठ शुभ्र, मेघों के
तू आ, मैं तुझ पर बलिहारी
सारांश: कवि शरद सुंदरी से कहते हैं कि मैंने तुम्हारे स्वागत के लिए पूरी तैयारी कर ली है। तुम सफेद बादलों के रथ पर बैठकर आओ, मैं तुम्हारे इस रूप पर बलिहारी (न्योछावर) होने को तैयार हूँ।
पद 3
शिशिर ओस से भींग गए जो
उन कमलों का मुकुट पहन कर
निर्मल नीलपंथ से आ तू
वन प्रांतर में नव यौवन भर
सारांश: शरद सुंदरी, तुम सर्दी (शिशिर) की ओस से भीगे हुए कमलों का मुकुट पहनकर आओ। तुम बिना किसी रुकावट या संकोच के आओ और वन-प्रांतर (जंगल और मैदान) में नया यौवन (नई सुंदरता और ताजगी) भर दो।
पद 4
मालति के फूलों का आसन
सघन कुंज बिच गया बिछाया
उफनाती गंगा के तट पर
तब तुझ को जा रहा बुलाया
सारांश: तुम्हारे स्वागत के लिए मालती (चमेली की एक प्रजाति) के फूलों का आसन घनी झाड़ियों (सघन कुंज) के बीच बिछाया गया है। पास ही उफनती हुई गंगा के तट पर तुम्हें राजहंस बुला रहा है, अर्थात राजहंस तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहे हैं।
पद 5
राजहंस पथ निरख रहे हैं
पथ पर अपने पंख बिछाए
पता नहीं किस ने निज वीणा
पर स्वर मादकमधुर बजाए
सारांश: राजहंस तुम्हारे रास्ते पर अपने पंख बिछाकर तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे किसी ने अपनी वीणा पर कोई मादक (नशीला) और मधुर स्वर छेड़ दिया हो, जिससे चारों ओर का वातावरण संगीतमय हो गया है।
पद 6
निज अलकों की कृपाकोर से
मेरे मन को पारस कर दे
मेरे तिमिराच्छन्न हृदय में
तू नव ज्योति, ऊष्मा भर दे
सारांश: कवि शरद सुंदरी से प्रार्थना करते हैं कि तुम अपनी लटों (अलकों) की कृपा-दृष्टि से मेरे मन को पारस पत्थर जैसा बना दो (जो लोहे को सोना बना देता है)। मेरे अंधकार से ढके हुए हृदय में तुम नई रोशनी (ज्योति) और गरमाहट (ऊष्मा) भर दो।
शब्दार्थ (Word Meanings)
विनिर्मित : बनाया हुआ, निर्मित
शेफाली : हरसिंगार का फूल (Night-flowering Jasmine)
संगतियों : बालियों, फसलों
पूना : पवित्र (यहाँ भारत माता के संदर्भ में)
शाल : दुप्पटा, वस्त्र
तव : तुम्हारा, तेरे
शुभ्र : सफ़ेद, उज्जवल
बलिहारी : न्योछावर, कुर्बान
शिशिर : शीत ऋतु (ठंड)
निर्द्वन्द्व : द्वंद्व (संघर्ष) रहित, बिना किसी रुकावट के
गोपन्य : गोपनीयता, संकोच
वन प्रांतर : जंगल का क्षेत्र, मैदान
सघन कुंज : घनी झाड़ियाँ
राजहंस : एक प्रकार का सुंदर हंस
विरचे : फैलाए हुए
मादक-मधुर : नशीला और मीठा
अलकों : बालों की लटें
कृपाकोर : कृपा की दृष्टि, दया-दृष्टि
पारस : एक पौराणिक पत्थर जो लोहे को छूकर सोना बना देता है
तिमिराच्छन्न : अंधकार से ढका हुआ
नव ज्योति : नई रोशनी, नया प्रकाश
ऊष्मा : गर्मी, गरमाहट, ऊर्जा
गुच्छ: समूह, बंडल
कांस: एक प्रकार का सफ़ेद लंबा वनस्पति-फूल
मंज़रियाँ: धान के पौधे पर निकलने वाली बालियाँ
थाल: पूजा की थाली
स्वागत: अभिनंदन
मिस: मिठाई या पकवान
मुकुट: ताज
निर्मल: शुद्ध, साफ़
नीलपथ: नीला आकाश
प्रांत: क्षेत्र, इलाका
नव यौवन: नई ऊर्जा, ताज़गी
आसन: बैठने का स्थान
कुंज: बग़ीचा
उफनती: तेज़ी से बहती, उग्र
पथ: मार्ग
वाणी: आवाज़, स्वर
अलक: लट, यहाँ कृपा की लहरें
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
कवि ने शरद सुंदरी के स्वागत के लिए किसका गुच्छा बनाया है?
क) गुलाब का
ख) काँस का
ग) कमल का
घ) मालती का
उत्तर: ख) काँस का
शरद सुंदरी ने किस फूल का हार बनाया है?
क) चमेली
ख) गेंदा
ग) शेफाली
घ) जूही
उत्तर: ग) शेफाली
शरद सुंदरी किस पर बैठकर आने वाली हैं?
क) फूलों की पालकी
ख) शुभ्र मेघों के रथ पर
ग) राजहंस पर
घ) नाव पर
उत्तर: ख) शुभ्र मेघों के रथ पर
कवि ने 'पूना का शाल' किससे सजाया है?
क) पुराने वस्त्रों से
ख) नए धान की संगतियों से
ग) चाँदी के तारों से
घ) सुनहरे रेशम से
उत्तर: ख) नए धान की संगतियों से
शरद सुंदरी को मुकुट किसका पहनकर आने को कहा गया है?
क) सोने का
ख) ओस से भीगे कमलों का
ग) शेफाली के फूलों का
घ) मोतियों का
उत्तर: ख) ओस से भीगे कमलों का
राजहंस कहाँ पर पंख फैलाकर शरद सुंदरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं?
क) सूखे मैदान में
ख) उफनती गंगा की तट पर
ग) पर्वत की चोटी पर
घ) गहरे सागर में
उत्तर: ख) उफनती गंगा की तट पर
कवि अपने मन को किसकी कृपाकोर से 'पारस' बना देने की प्रार्थना करते हैं?
क) ईश्वर की
ख) प्रकृति की
ग) निज अलकों (शरद सुंदरी के बाल) की
घ) वीणा की
उत्तर: ग) निज अलकों (शरद सुंदरी के बाल) की
कवि ने अपने हृदय को कैसा बताया है?
क) ज्योतिर्मय
ख) तिमिराच्छन्न
ग) प्रसन्न
घ) शांत
उत्तर: ख) तिमिराच्छन्न
इस कविता के रचयिता कौन हैं?
क) सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
ख) जयशंकर प्रसाद
ग) सुमित्रानंदन पंत
घ) महादेवी वर्मा
उत्तर: ग) सुमित्रानंदन पंत
कवि शरद सुंदरी से अपने हृदय में क्या भरने की प्रार्थना करते हैं?
क) दुख और निराशा
ख) नव ज्योति, ऊष्मा
ग) सोना और चाँदी
घ) शांति और धैर्य
उत्तर: ख) नव ज्योति, ऊष्मा
कविता “शरत सुंदरी” में किस ऋतु का स्वागत किया गया है?
क. वसंत
ख. शरद
ग. ग्रीष्म
घ. वर्षा
उत्तर: ख. शरद
12. ‘गुच्छ कांस का किया विनिर्मित’ पंक्ति में कवि ने किससे थाल सजाया है?
क. गुलाब से
ख. कांस के फूलों से
ग. कमल से
घ. मालती के पुष्पों से
उत्तर: ख. कांस के फूलों से
13. शेफाली का दूसरा नाम है—
क. मालती
ख. पारिजात
ग. जूही
घ. कुसुम
उत्तर: ख. पारिजात
14. शिशिर ओस से कौन भीग गए थे?
क. गंगा
ख. मेघ
ग. कमल
घ. राजहंस
उत्तर: ग. कमल
15. ‘नीलपथ’ का अर्थ है—
क. धरती
ख. हरियाली
ग. नीला आकाश
घ. समुंदर
उत्तर: ग. नीला आकाश
16. कौन शरद ऋतु के मार्ग पर अपने पंख बिछाए हुए है?
क. कौवे
ख. गौरैया
ग. राजहंस
घ. मोर
उत्तर: ग. राजहंस
17.कवि के अनुसार किसने अपनी वीणा पर मधुर स्वर बजाए?
क. कोई अज्ञात कलाकार
ख. नदी
ग. मेघ
घ. गंधर्व
उत्तर: क. कोई अज्ञात कलाकार
19. ‘स्वपन कुंज बिछ गया’ का तात्पर्य है—
क. दुख का वातावरण
ख. सजधज कर स्वागत की तैयारी
ग. खेत की जुताई
घ. यात्रा की तैयारी
उत्तर: ख. सजधज कर स्वागत की तैयारी
20. कविता का भाव क्या है?
क. तरस
ख. आक्रोश
ग. स्वागत और सौंदर्य का वर्णन
घ. भय
उत्तर: ख. स्वागत और सौंदर्य का वर्णन
21. कविता “शरत सुंदरी” में किस ऋतु का स्वागत किया गया है?
क. वसंत
ख. शरद
ग. ग्रीष्म
घ. वर्षा
उत्तर: ख. शरद
22. ‘गुच्छ कांस का किया विनिर्मित’ पंक्ति में कवयित्री ने किससे थाल सजाया है?
क. गुलाब से
ख. कांस के फूलों से
ग. कमल से
घ. मालती के पुष्पों से
उत्तर: ख. कांस के फूलों से
23. शेफाली का दूसरा नाम है—
क. मालती
ख. पारिजात
ग. जूही
घ. कुसुम
उत्तर: ख. पारिजात
24. शिशिर ओस से कौन भीग गए थे?
क. गंगा
ख. मेघ
ग. कमल
घ. राजहंस
उत्तर: ग. कमल
25. ‘नीलपथ’ का अर्थ है—
क. धरती
ख. हरियाली
ग. नीला आकाश
घ. समुंदर
उत्तर: ग. नीला आकाश
26. कौन शरद ऋतु के मार्ग पर अपने पंख बिछाए हुए है?
क. कौवे
ख. गौरैया
ग. राजहंस
घ. मोर
उत्तर: ग. राजहंस
27. कवि के अनुसार किसने अपनी वीणा पर मधुर स्वर बजाए?
क. कोई अज्ञात कलाकार
ख. नदी
ग. मेघ
घ. गंधर्व
उत्तर: क. कोई अज्ञात कलाकार
28. कवि क्या चाहत है कि शरद ऋतु उनके हृदय में क्या भर दे?
क. धन
ख. बल
ग. नव ज्योति और उष्मा
घ. दुख और करुणा
उत्तर: ग. नव ज्योति और उष्मा
29. ‘स्वपन कुंज बिछ गया’ का तात्पर्य है—
क. दुख का वातावरण
ख. सजधज कर स्वागत की तैयारी
ग. खेत की जुताई
घ. यात्रा की तैयारी
उत्तर: ख. सजधज कर स्वागत की तैयारी
30. कविता का भाव क्या है?
क. तरस
ख. आक्रोश
ग. स्वागत और सौंदर्य का वर्णन
घ. भय
उत्तर: ख. स्वागत और सौंदर्य का वर्णन

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