मैं नीर भरी दुख की बदली— महादेवी वर्मा Summary, Explanation, Word meanings, MCQs, Class 12 Semester 3
मैं नीर भरी दुख की बदली — महादेवी वर्मा Summary, Explanation, Word meanings, MCQs, Class 12 Semester 3 मैं नीर भरी दुख की बदली ! स्पन्दन में चिर निःस्पन्द बसा क्रन्दन में आहत विश्व हँसा नयनों में दीपक से जलते, पलकों में निसृणी मचली ! मेरा पग-पग संगीत भरा श्वासों से स्वप्न-पराग झरा नभ के नव रंग बुनते दुकुल छाया में मलय-वयार पली । मैं क्षितिज-भ्रुकुटि पर घिर धूमिल चिन्ता का भार बनी अविरल, रज-कण पर जल-कण हो बरसी, नव जीवन-अंकुर बन निकली ! पथ को न मलिन करता आना पद-चिह्न न दे जाता जाना सुधि मेरे आगम की जग में सुख की सिहरन बन अन्त खिली ! विस्तूत नभ का कोई कोना मेरा न कभी अपना होना, परिचय इतना, इतिहास यही- उड़ी कल थी, मिट आज चली !